Breaking

Saturday, 12 October 2024

झारखण्ड के प्रमुख व्यक्तित्व (Prominent personalities of Jharkhand)

झारखण्ड के प्रमुख व्यक्तित्व (Prominent personalities of Jharkhand)

झारखण्ड के प्रमुख व्यक्तित्व

Prominent personalities of Jharkhand


तिलका माँझी

v भारतीय स्वाधीनता संग्राम के पहले विद्रोही शहीद तिलका माँझी थे।

v तिलका माँझी का जन्म 11 फरवरी, 1750 ई. को हुआ था।

v तिलका माँझी का जन्म तिलकपुर गाँव में हुआ था।

v तिलका माँझी का जन्म संथाल परिवार में हुआ था।

v तिलका माँझी को जाबरा पहाड़िया के नाम से भी जाना जाता है।

v तिलका माँझी के पिता का नाम सुंदरा मुर्मू था।

v तिलका आंदोलन का नेतृत्व तिलका माँझी ने किया था।

v तिलका माँझी के विद्रोह का मुख्य केन्द्र वनचरीजोर (भागलपुर) था। ।

v राजमहल के सुपरिटेंडेंट क्लीवलैंड को तिलका माँझी ने 13 जनवरी,  1784 को अपने तीरों से मार गिराया।

v तिलका माँझी द्वारा गांव में विद्रोह का संदेश सखुआ पत्ते के माध्यम से भेजा जाता था।

v तिलका माँझी को पकड़वाने वाला पहाड़िया सरदार जउराह था।

v तिलका माँझी को 1785 ई. में गिरफ्तार किया गया।

v तिलका माँझी को भागलपुर में फाँसी दी गई।

v तिलका माँझी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के पहले विद्रोही शहीद थे।

v तिलका माँझी को भागलपुर में बरगद के पेड़ पर लटकाकर फाँसी  दी गई थी।

 

 

बुधु भगत

v कोल विद्रोह के नायक बुधु भगत का जन्म 17 फरवरी, 1792 ई. को हुआ था।

v बुधु भगत का जन्म राँची जिले के चान्हो प्रखण्ड के सिलागाई गाँव में हुआ था।

v सिलागाई, कोयल नदी के तट पर बसा है।

v बुधु भगत का जन्म उरांव परिवार में हुआ था।

v बुधु भगत ने ब्रिटिश शासन के विरूद्ध कोल विद्रोह का नेतृत्व किया ।

v झारखण्ड के प्रथम आंदोलनकारी बुधु भगत थे जिन्हें पकड़ने के लिए अंग्रेज सरकार को 1000 रुपये इनाम की घोषणा करनी पड़ी ।

v 14 फरवरी, 1832 ई. को कप्तान इम्पे के नेतृत्व में आए सैनिकों के खिलाफ लड़ते हुए बुधु भगत शहीद हुए।




सिदो-कान्हू

v सिदो-कान्हू का जन्म संथाल परिवार में हुआ था।

v सिदो-कान्हू का जन्म संथाल परगना के भोगनाडीह गांव में हुआ था।

v सिदो का जन्म 1815 ई. में हुआ था।

v कान्हू का जन्म 1820 ई. में हुआ।

v चाँद का जन्म 1825 ई. में हुआ था।

v भैरव का जन्म 1835 ई. में हुआ था।

v सिदो कान्हू के पिता का नाम चुन्नी माँझी था।

v सिदो कान्हू ने 1855 ई. में ब्रिटिश सत्ता, साहूकारों, व्यापारियों व जमींदारों के खिलाफ संथाल विद्रोह (हूल आंदोलन) का नेतृत्व किया था।

v संथाल विद्रोह में सक्रिय भागीदारी निभानेवाले चाँद एवं भैरव सिदो-कान्हू के भाई थे।

v 30 जून, 1855 को भोगनाडीह की सभा में सिदो को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को प्रशासक तथा भैरव को सेनापति चुना गया ।

v संथाल विद्रोह का मुख्य नारा था करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो ।

v सिदो अपने दैवी शक्ति का हवाला देते हुए सभी मांझियों को साल की टहनी भेजकर संथाल हूल के लिए तैयार रहने को कहा।

v बरहाइत के लड़ाई में चाँद-भैरव शहीद हो गये।

v सिदो-कान्हू को बरहाइत में फाँसी दी गयी थी। 'हूल दिवस' 30 जून को मनाया जाता है।


 

तेलंगा खड़िया

v अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करनेवाले तेलंगा खड़िया का जन्म 9 फरवरी, 1806 को हुआ था।

v तेलंगा खड़िया का जन्म गुमला जिला के मुर्ग (सिसई) गांव में हुआ था।

v तेलंगा खड़िया के पिता का नाम दुईया खड़िया था।

v तेलंगा खड़िया के पिता नागवंशी महाराजा के भण्डारी थे।

v तेलंगा खड़िया के माता का नाम पेतो खड़िया था।

v तेलंगा खड़िया का विवाह 1846 ई. में रतनी खड़िया के साथ हुआ था।

v तेलंगा खड़िया ने अंग्रेजों, जमींदारों तथा अन्य अत्याचारियों से लड़ने हेतु गुमला के आसपास के गांवों में अपना संगठन बनाया था अपने संगठन को ये जुरी पंचायत कहते थे।

v तेलंगा खड़िया को बसिया थानान्तर्गत कुम्हारी ग्राम के जुरी पंचायत में समर्थको को संबोधित करते समय गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी  के पश्चात उन्हें कलकता जेल भेज दिया गया।

v 23 अप्रैल, 1880 को बोधन सिंह ने गोली मारकर तेलंगा खड़िया की  हत्या कर दी।

v जिस स्थल पर तेलंगा खड़िया की लाश को दफनाया गया था वह स्थल आज तेलंगा तोपा टांड के नाम से जाना जाता है।



 

ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव

v 1857 के विद्रोह के नायक ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का जन्म 12 अगस्त, 1817 ई. को हुआ था।

v बड़‌कागढ़ की राजधानी सतरंजी में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का। जन्म हुआ था।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के पिता का नाम रघुनाथ शाहदेव था।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के माता का नाम वाणेश्वरी कुंवर था।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने अपनी राजधानी सतरंजी से हटाकर हटिया को बनाया।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने 1855 ई. में अंग्रेजों के विरूद्ध विद्रोह का बिगुल फूंका तथा स्वयं को एक स्वतंत्र राजा घोषित कर दिया ।

v 1857 के सिपाही विद्रोह में रामगढ़ बटालियन के 600 सिपाहियों का नेतृत्व ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव ने किया।

v मुक्तिवाहिनी सेवा के संस्थापक ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव थे।

v मुक्तिवाहिनी सेना का सेनापति पाण्डेय गणपत राय को नियुक्त किया गया था।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को 23 मार्च, 1858 ई. को गिरफ्तार किया गया।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को लोहरदगा में गिरफ्तार किया गया।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को विश्वनाथ दुबे ने विश्वासघात कर गिरफ्तार करवाया था।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव एवं पाण्डेय गणपत राय को गिरफ्तार करने में कैप्टन नेशन नामक अंग्रेजी सेनानायक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को 16 अप्रैल, 1858 को राँची में जिला स्कूल के मुख्य द्वार के पास जहां इन दिनों शहीद स्थल बना हुआ है, फाँसी दे दी गयी।

v ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव को कदम वृक्ष पर लटकाकर फांसी दी गयी थी।

  


पाण्डेय गणपत राय

v 1857 ई. के सिपाही विद्रोह के अमर सेनानी पाण्डेय गणपत राय का।

v जन्म 17 जनवरी, 1809 ई. में को हुआ था।

v पाण्डेय गणपत राय का जन्म लोहरदगा जिले के भौरो गांव में हुआ था।

v पाण्डेय गणपत राय के पिता का नाम रामकिसुन राय था।

v पाण्डेय गणपत राय की पत्नी का नाम सुगंधा कुंवर था।

v पाण्डेय गणपत राय छोटानागपुर के महाराज के दिवान थे।

v 1857 के विद्रोहियों ने पाण्डेय गणपत राय को अपना सेनानायक बनाया था।

v पाण्डेय गणपत राय ने 1857 के विद्रोह में ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के साथ मिलकर भाग लिया।

v पाण्डेय गणपत राय को परहेपाट के जमींदार महेश शाही ने  विश्वासघात कर गिरफ्तार करवाया था।

v पाण्डेय गणपत राय को गिरफ्तार करनेवाला अंग्रेज अधिकारी कैप्टन नेशन था।

v पाण्डेय गणपत राय को 21 अप्रैल, 1858 को राँची जिला स्कूल के मुख्य द्वारा के पास स्थित कदम वृक्ष पर लटकाकर फाँसी दी गयी थी।

 

 

टिकैत उमराव सिंह

v 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के समक्ष कड़ी चुनौती पेश करने वाले टिकैत उमराव सिंह का जन्म राँची जिले के ओरमांझी प्रखण्ड के खटंगा गांव में हुआ था।

v टिकैत उमराव सिंह का संबंध बंधगांव राजपरिवार से था।

v टिकैत उमराव सिंह 12 गांव के राजा थे।

v 1857 का विद्रोह के समय टिकैत उमराव सिंह, उनके छोटे भाई टिकैत घाँसी सिंह तथा दीवान शेख भिखारी तीनों ने मिलकर चुटुपालू तथा चारू घाटी में अंग्रेज सेना को प्रवेश करने से रोक दिया था।

v 1857 के विद्रोह के दौरान टिकैत उमराव सिंह के भाई घाँसी सिंह को गिरफ्तार कर लोहरदगा के जेल में डाल दिया गया जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी थी।

v टिकैत उमराव सिंह को शेख भिखारी के साथ 6 जनवरी, 1858 को गिरफ्तार कर 8 जनवरी, 1858 को फाँसी दे दी गयी।

v टिकैत उमरावं सिंह को चूटुपालू घाटी में फाँसी दी गयी थी।

v टिकैत उमराव सिंह को वट वृक्ष पर लटकाकर फाँसी दी गयी थी।

v टिकैत उमराव सिंह को विलियम ऑक्स के मौखिक आदेश पर फाँसी दी गयी थी।



शेख भिखारी

v 1857 के विद्रोह के नायक शेख भिखारी का जन्म 1819 ई. में हुआ  था।

v शख भिखारी का जन्म राँची जिला के ओरमांझी थाना के खुदिया  गांव में हुआ था।

v शेख भिखारी के पिता का नाम शेख पहलवान था ।

v शेख भिखारी टिकैत उमराव सिंह के दीवान थे।

v शेख भिखारी ने टिकैत उमराव सिंह के साथ मिलकर 1857 के विद्रोह में भाग लिया। 1857 के विद्रोह में शेख भिखारी ने अंग्रेज फौज को रोकने के लिए  चुटुपालू के मार्ग को अवरूद्ध किया था।

v 1857 के विद्रोह के दौरान संथाल विद्रोहियों से शेख भिखारी ने संपर्क कर उन्हें विद्रोह के लिए प्रेरित किया।

v शेख भिखारी को 8 जनवरी, 1858 को फाँसी दी गयी। शेख भिखारी को चुटुपालू घाटी में वट वृक्ष पर लटकाकर फाँसी दी  गयी थी।

 



नीलाम्बर-पीताम्बर

v 1857 के विद्रोह में पलामू के भोक्ता नेता नीलाम्बर-पीताम्बर ने अंग्रेजी सत्ता को हिलाकर रख दिया।

v भोक्ता खरवार जनजाति की उप-जाति या शाखा है।

v 1857 के विद्रोह में नीलाम्बर-पीताम्बर का साथ चेरो जनजाति ने दिया।

v पलामू में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व नीलाम्बर-पीताम्बर ने किया। नीलाम्बर-पीताम्बर गुरिल्ला युद्ध में माहिर थे।

v 1857 के विद्रोह में नीलाम्बर पीताम्बर ने चेरो राजाओं के साथ  मिलकर भाग लिया।

v नीलाम्बर-पीताम्बर दोनों सगे भाई थे।

v 21 अक्टूबर, 1857 को नीलाम्बर-पीताम्बर ने चैनपुर, शाहपुर तथा ।

v लेस्लीगंज पर आक्रमण कर अंग्रेजों के विरूद्ध जंग का ऐलान किया ।

v 13 फरवरी, 1858 को भोगता सरदार के चेमो गढ़ पर डाल्टन द्वारा हमला किया गया।

v भोगता सरदार नीलाम्बर-पीताम्बर शाहाबाद के विद्रोहियों से मिल गये थे। शाहाबाद के बाबू अमर सिंह का पदार्पण खरौंधी (पलामू) में हुआ था।

v नीलाम्बर-पीताम्बर की गिरफ्तारी डालटन के द्वारा की गयी थी।

v नीलाम्बर-पीताम्बर को 28 मार्च 1859 को फाँसी दी गयी थी।

v नीलाम्बर-पीताम्बर को लेस्लीगंज में आम के पेड़ पर लटकाकर फाँसी दी गयी।



बिरसा मुंडा

v बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर, 1875 को हुआ था।

v बिरसा मुंडा का जन्म वृहस्पतिवार के दिन हुआ था। बिरसा मुंडा का जन्म उलिहातू गांव में हुआ था।

v 15 नवम्बर, 1875 को जन्में बिरसा मुंडा का जन्म स्थान खूंटी जिले में है।

v बिरसा मुंडा के पिता का नाम सुगना मुंडा था।

v बिरसा मुंडा की माता का नाम करमी था।

v बिरसा मुंडा पांच भाई थे कोन्ता, दस्कीर, चम्पा, बिरसा एवं कानू ।

v बिरसा अपने माता-पिता के चौथे पुत्र थे।

v बिरसा मुंडा का परिवार ईसाई था।

v बचपन में बिरसा सरना से ईसाई धर्म में दीक्षित हुए।

v ईसाई धर्म में दीक्षित होने के बाद बिरसा के पिता का नाम मसीहदास रखा गया था।

v ईसाई धर्म ग्रहण करते समय बिरसा का नाम दाऊद रखा गया था।

v बिरसा का ईसाई धर्म में कन्फर्मेशन 7 मई, 1886 को चाईबासा लुथेरन के मिशन में हुआ था। बिरसा मुंडा का प्रारंभिक शिक्षा सलगा स्कूल में हुई।

v बिरसा मुंडा ने अपर प्राइमरी शिक्षा के लिए बुर्ज मिशन स्कूल में  अपना नाम लिखवाया।

v बिरसा ने चाईबासा में रहकर उच्च प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्रांप्त की।

v बिरसा को प्रारंभिक शिक्षा जयपाल नाग ने दी।

v बिरसा मुंडा अपने धर्म, विशेषकरं वैष्णव धर्म पर बल देते थे।

v बिरसा पेशे से बुनकर थे।

v बिरसा मुंडा पूर्णतया वैष्णव हो गये थे।

v बिरसा मुंडा जनेऊ, खड़ाक़ और हल्दी के रंग में रंगी धोती पहनते थे ।

v जनेऊ पहनने की शिक्षा मुंडाओं को बिरसा मुंड़ा ने दी।

v बिरसा मुंडा आदिवासियों से सिंगबोंगा की पूजा करने के लिए कहा  करते थे।

v बिरसा मुंडा ने अपने आपको सिंगबोंगा का दूत बताया।

v बिरसाईत धर्म को बिरसा मुंडा ने चलाया। बिरसा मुंडा ने 1895 ई. में अपने आपको ईश्वर का दूत घोषित किया।

v बिरसा मुंडा को सबसे पहले भगवान थानेदार मृत्युंजय नाथ लाल ने  कहा था।

v बिरसा मुंडा को प्रथम बार 1895 ई. में गिरफ्तार किया गया।

v 30 नवम्बर, 1897 ई. को विक्टोरिया के हीरक जयंती के अवसर पर  बिरसा मुंडा को जेल से छोड़ दिया गया। बिरसा मुंडा के आंदोलन का मुख्यालय खूँटी था।

v बिरसा आंदोलन के समय राँची का उपायुक्त स्ट्रीटफील्ड था।

v डोम्बारी पहाड़ बिरसा आंदोलन का केन्द्र बिंदु था ।

v बिरसा मुंडा 3 फरवरी, 1900 को गिरफ्तार किये गये।

v 3 फरवरी, 1900 ई. को बंदगाव के जगमोहन सिंह के आदमी वीर  सिंह महली आदि ने 500 रुपये ईनाम के लालच में बिरसा मुंडा को गिरफ्तार करवा दिया।

v बिरसा मुंडा के गिरफ्तारी पर 500 रुपये का ईनाम रखा गया था।

v बिरसा मुंडा की मृत्यु 9 जून, 1900 को हुई।

v बिरसा मुंडा की मृत्यु हैजा बीमारी की वजह से हुई।

v बिरसा मुंडा की मृत्यु राँची जेल में हुई।

v बिरसा मुंडा को 9 जून, 1900 को राँची के कोकर स्थित राँची डिस्टीलरी के निकट एक नाले के किनारे दफना दिया गया था, जहाँ एक स्मारक बना दिया गया है।

v झारखण्ड क्षेत्र की व्यथा समझनेवाले प्रथम आदिवासी नेता बिरसा  मुंडा थे।

v झारखण्ड राज्य के गठन के इतिहास का 'महानायक' बिरसा मुंडा  को माना जाता है।

v महान आदिवासी नेता बिरसा मुंडा को दाउद मुंडा, दाउद बिरसा, बिरसा भगवान कहा जाता है।

v बिरसा मुंडा को आम जनजातियाँ धरती आबा एवं भगवान कहती है।

v गया मुंडा 'मुंडा विद्रोह' के दूसरे अग्रणी नेता गया मुंडा थे।

v गया मुंडा बिरसा मुंडा के सेनानायक थे।

v गया मुंडा खूँटी जिले के ऐटकडीह गांव के रहनेवाले थे।

v ऐटकडीह तजना नदी के तट पर स्थित है।

v गया मुंडा के हाथो मारा जानेवाला सिपाही जयराम था।

v राँची के डिप्टी कमिश्नर स्ट्रीटफील्ड गया मुंडा को गिरफ्तार करने  6 जनवरी, 1900 को उसके गांव ऐटकेडीह पहुँचे ।

v गया मुंडा और उसके मंझले पुत्र सानरे मुंडा को 22 अक्टूबर, 1901  को फाँसी दी गयी।

v गया मुंडा के पुत्र डॉका मुंडा को आजीवन कारावास की सजा दी गयी।

v आजीवन देश निर्वासन का दंड प्रायाः ज्यातासी गया मुंडा का बेटा था।

v गया मुंडा की पत्नी माकी को 2 वर्ष को कारावास की सजा मिला।

 

 

 

जतरा भगत

v टाना भगत आंदोलन के नेता जतरा भगत का जन्म 1888 ई. में हुआ था।

v जतरा भगत का जन्म गुमला जिला के बिशुनपुर प्रखंड के चिंगरी नवाटोली गांव में हुआ था।

v जतरा भगत का जन्म उरांव परिवार में हुआ था।

v जतरा भगत के पिता का नाम कोडल उरांव था।

v अतरा भगत की मावा का नाम लिबरी था।

v जतरा भगत की पत्नी का नाम बुधनी था।

v झारखण्ड क्षेत्र के टाना भगत आंदोलन से जतरा उरांव संबंधित थे।

v टाना भगत आंदोलन मूलतः धार्मिक एवं राजनीतिक आंदोलन था।

v टाना उरांव जनजाति की एक शाखा है।

v टाना भगतों के आंगन में तुलसी चौरा और सफेद झण्डा आवश्यक है।

v टाना भगत सत्य और अहिंसा की प्रतिमूर्ति होते हैं।

v खादी का वस्त्र और खादी का तिरंगा टाना भगतों के जीवन संगी हैं।

v जतरा भगत ने अपना आंदोलन 1914 ई. में प्रारंभ किया।

v जतरा भगत ने उरांव लोगों के बीच मंदिरा पान न करने, मांस न खाने, जीव हत्या नहीं करने, यज्ञोपवीत धारण करने, अपने-अपने घरों के आंगन में तुलसी चौरा स्थापित करने, बैठ-बेगारी समाप्त  करने, अंग्रेजों के आदेश को न मानने, खेतों में गुरूवार को हल चलाना बंद करने का उपदेश दिया।

v जतरा भगत को 1916 ई. गिरफ्तार किया गया।

v जतरा भगत को गिरफ्तार करने के पश्चात राँची के जेल में रखा। गया।

v जतरा भगत की मृत्यु 1917 ई. हुई।

 

 

झारखण्ड के प्रमुख व्यक्तित्व

Prominent personalities of Jharkhand


बाबू राय नारायण सिंह

v स्वतंत्रता सेनानी बाबू राम नारायण सिंह का जन्म 19 दिसम्बर, 1885 ई. को हुआ था।

v राम नारायण सिंह का जन्म चतरा जिले के तेतरिया गांव में हुआ था। ।

v राम नारायण सिंह के पिता का नाम भोली सिंह था राम नारायण सिंह ने मैट्रीक की परीक्षा हजारीबाग के जिला स्कूल से पास की।

v राम नारायण सिंह ने आई.ए. की परीक्षा संत जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से पास की।

v राम नारायण सिंह ने बी.ए. की शिक्षा रिपन कॉलेज, कोलकाता से। प्राप्त की।

v राम नारायण सिंह ने लॉ की डिग्री पटना से प्राप्त की।

v राम नारायण सिंह 1913 ई. में असिस्टेंट सेटलमेंट ऑफिसर नियुक्त  हुए।

v इस पद से उन्होंने 1915 ई. में इस्तीफा दे दिया।

v राम नारायण सिंह 1920 ई. में पटना में वकालत शुरू की पुनः चतरा में वकालत प्रारंभ किया 1921 ई. में वकालत छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े।

v राम नारायण सिंह 1924 ई. में हजारीबाग जिला बोर्ड के प्रथम निर्वाचित उपाध्यक्ष चुने गये जिस पर वे 1946 तक रहे ।

v राम नारायण सिंह 1927 ई. में इंडियन लेजिस्लेटिव एसेंबली (केंन्द्रीय  धारा सभा) के सदस्य बने जिसपर वे 1946 ई. तक रहे।

v राम नारायण सिंह 1946 ई में संविधान सभा के सदस्य निर्वाचित हुए।

v 1952 के लोक सभा चुनाव में राम नारायण सिंह हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए।

v 'स्वराज्य लूट गया' पुस्तक के रचयिता राम नारायण सिंह हैं।

v 'छोटानागपुर केसरी' के नाम से राम नारायण सिंह जाने जाते हैं।

v 18 मार्च, 1940 को रामगढ़ में काँग्रेस के 53वें अधिवेशन में राम नारायण सिंह को महात्मा गांधी ने छोटानागपुर केसरी की उपाधि से अलंकृत किया ।

v योग विद्या के प्रचार-प्रसार के लिए दिल्ली में 'योगाश्रम' की स्थापना राम नारायण सिंह ने की।

v अलग राज्य झारखण्ड की लड़ाई संसद में लड़ने वाले बाबू राम नारायण सिंह का निधन 24 जून, 1964 ई. को हुआ।



अन्य महत्वपूर्ण चर्चित व्यक्तित्व

डॉ० रामदयाल मुंडा  

v डॉ० रामदयाल मुंडा  पूर्व राज्यसभा सांसद तथा राँची विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके रामदयाल मुंडा को 2010 में पद्मश्री पुरस्कार प्रदान किया गया था।

v 30 सितम्बर, 2011 इनकी मृत्यु हो गई। इनकी जीवनी पर बनी फिल्म का नाम "नाची से बाची" है।


राज कुमार गुप्ता

v राज कुमार गुप्ता फिल्म निर्देशक जो कि झारखण्ड के हजारीबाग के हैं, इनका जन्म 1976 ई० में हुआ।

v उन्होने प्रारंभिक शिक्षा हजारीबाग के संत जेवियर स्कूल से प्राप्त की।

v इनकी पहली फिल्म आमिर, 2008 में आयी तथा "नो वन किल्ड जेसिका" 2011 में आयी।

  

अन्जना ओम कश्यप

v रांची की अंजना ओम कश्यप वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की एक प्रसिद्ध हस्ती है।

 

दयामनी बरला मुंडा

v दयामनी बरला मुंडा समुदाय की लोकप्रिय पत्रकार हैं जिन्हे "आयरन लेडी ऑफ झारखण्ड कहा जाता है।

v ये 'आप' के टिकट  पर 2014 में खूँटी लोकसभा से चुनाव लड़ चुकी है।

 

मुकुंद नायक

v ये नागपुरी गीत तथा नृत्य के साथ-साथ मर्दानी पुरस्कार से झूमर के क्षेत्र में विख्यात है।

v इन्हे 2016 के पद्म श्री सम्मानित किया गया है।

v एशिया पैसिफिक डांस एलाइन्स से जुड़े नागपुरी लोक संगीत तथा नृत्य के विश्व विख्यात कलाकार पद्मश्री मुकुंद नायक ने अपनी लोक कला को अत्यधिक विकसित करने हेतु रांची में कुंजवन संस्था की स्थापना की है।

 

इम्तियाज अली

v इनका संबंध जमशेदपुर से है। इन्होने बॉलीवुड में "सोचा न था" फिल्म से अपने कैरियर की शुरूआत की। ये डायरेक्टर, स्क्रीन प्ले राइटर तथा स्टोरी राइटर हैं।

  

मेयांग चांग

v इनका संबंध धनबाद से है।

v ये टेलिविजन तथा फिल्म के जाने-माने कलाकार हैं।

 

तनुश्री दत्ता

v जमशेदपुर की तनुश्री दत्ता बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री है।


विनय पाठक

v इनका संबंध धनबाद से है।

v इन्होंने 'भेजा फ्राई"  फिल्म से बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाई।


असीम मिश्रा

v असीम मिश्रा घनबाद जिले के प्रख्यात बॉलीवुड सिनेमाटोग्राफर है।


विभू मट्टाचार्य

v विभू मट्टाचार्य फिल्म तथा टीवी से संबंधित धनबाद के विभू भट्टाचार्य एक जानी मानी हस्ती हैं।


जेशान कादरी

v जेशान कादरी धनबाद के वासेपुर में जन्में जेशान कादरी बॉलीवुड | के प्रख्यात कथा व पटकथा लेखक हैं।


कोमल झा

v रांची की कोमल झा दक्षिण भारतीय फिल्मों की एक विख्यात अभिनेत्री हैं|

 

अलीशा

v रांची की रहने वाली अलीशा "डांस इंडिया डांस" 2008  की उपविजेता रह चुकी है।


शिल्पा राव

v यह जमशेदपुर से संबंधित बॉलीवुड की प्रख्यात गायिका है।


सचिन दा

v सचिन दा संयुक्त राष्ट्र शांति पदक़ से सम्मानित होनेवाले प्रथम भारतीय  छायाकार कवि हैं। 

vइन्हें 1988 ई. में बेल्जिम में एफ.आई.ए.पी. और ब्रिटेन में ए.आई.पी.एल. की एसोसिएटशिप मिली ।


हरेन ठाकुर

v हरेन ठाकुर झारखण्ड को भारत के कलात्मक नक्शे पर महत्वपूर्ण स्थान दिलवाने वाले चित्रकार राँची के रहनेवाले हैं।


एंजेल मेरिना तिर्की

v एंजेल मेरिना तिर्की रांची की एंजेल मेरिना तिर्की ने क्वींन ऑफ इंटरनेशनल टूरिज्म का खिताब जीतकर देश के साथ झारखण्ड का  नाम रौशन किया है।


ललित मोहन राय

v ललित मोहन राय झारखण्ड के निवासी के नाम से चित्रकारी से जुड़ा हुआ है।

v 5 मई, 1943 को दुमका में जन्मे संथाल परगना के जाने-माने चित्रकार ललित मोहन राय को 1989 में कलाश्री की उपाधि मिली।

v इन्होंने 1967 ई. में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति को उनका रेखाचित्र भेजा था, जिसपर उन्हें बधाई पत्र भी प्राप्त हुआ।

 

बुलू इमाम

v पद्मश्री बुलू इमाम जनजातीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे एक विख्यात पर्यावरणविद् हैं।

v वह पुरातत्व विज्ञानी, जनजातीय पेंटिंग का पुनर्जीवित करने वाले व्यक्ति तथा अपने मानवीय कार्य के लिए गांधी फाउंडेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के विजेता भी हैं।

v उन्होंने सोहराय तथा कोहबर को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी है। वर्ष 2019 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।


सुब्रतो रे

v सुब्रतो रे भारत के प्रथम छायाचित्र प्रदर्शक का जन्म राँची में हुआ था।

v ये चित्रकारी के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।

 

उल्का सिंह

v उल्का सिंह मशहूर अंतरराष्ट्रीय कत्थक नृत्यांगना का संबंध झारखण्ड राज्य से है।


राजकुमार सुधेन्दु नारायण सिंह देव

v राजकुमार सुधेन्दु नारायण सिंह देव संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत 'सरायकेला शैली' के छऊ नृत्य के विश्वविख्यात कलाकार हैं।


प्रियंका चोपड़ा विश्व

v प्रियंका चोपड़ा विश्व सुंदरी का ताज जीतकर देश का नाम रौशन करनेवाली अभिनेत्री का जन्म झारखण्ड के जमशेदपुर शहर में हुआ था।

 

तनुश्री दत्ता

v तनुश्री दत्ता 2004  में भारत सुंदरी का ताज जीतनेवाली अभिनेत्री झारखण्ड के जमशेदपुर की रहनेवाली हैं।


झारखण्ड के प्रमुख व्यक्तित्व

Prominent personalities of Jharkhand

No comments:

Post a Comment