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Saturday, 17 May 2025

झारखण्ड के सभी आंदोलन

 

झारखण्ड में वहाबी आंदोलन

 

v वहाबी आंदोलन के झारखण्ड इलाके में प्रसार का दायित्व शाह मोहम्मद हुसैन को सौंपा गया था।


v झारखण्ड में वहाबी आंदोलन की शाखाएँ राजमहल में खोली गई थी।


v संथाल परगना क्षेत्र में वहाबी विचार धारा का प्रसार इब्राहिम मंडल एवं अमरूदीन ने किया ।


v हजारीबाग के मीर उस्मान अहमदशाह बरेली जी से मिलने बरेली गए थे।

 

उग्र राष्ट्रीयता का प्रचार-प्रसार

 

v बंगाल के क्रांतिकारी आंदोलन का गहरा प्रभाव झारखण्ड पर पड़ा ।


v झारखण्ड में क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र देवघर शहर था।


v झारखण्ड के देवघर शहर में 'स्वर्ण संघ' (गोल्डन लीग) नामक एक संस्था कायम की गयी थी,  जिसका उद्देश्य क्रांतिकारी क्रियाकलापों का प्रसार करना था।


v वारीन्द्र कुमार घोष समेत कई तरूण क्रांतिकारियों ने देवघर में गोल्डन लीग संस्था की स्थापना की थी।


v देवघर स्थित शीलेर बाड़ी मकान का उपयोग क्रांतिकारी बम बनाने तथा अपने सहयोगियों को इस दिशा में प्रशिक्षित करने में किया करते थे।


v शीलेर बाड़ी नामक मकान से 1915 ई० में बम बनाने की सामग्रियाँ  बरामद हुई ।


v महान क्रांतिकारी अरविंद घोष एवं वारीन्द्र घोष के नाना राज  नारायण वसु देवघर के रहनेवाले थे।


v क्रांतिकारी वारीन्द्र घोष की शिक्षा-दीक्षा की शुरूआत झारखण्ड के  देवघर शहर में हुई थी।


v देवघर स्थिर आर. मित्रा उच्च विद्यालय क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का। सूचक है। यहाँ के प्रधानाचार्य शांति कुमार बख्शी द्वारा युवकों को क्रांतिकारी प्रशिक्षण दिया जाता था।


v सुकुमार मित्र, बी.बी. मित्र एवं एम.एन. बोस देवघर के क्रांतिकारी नेता थे।


v रोद्धा आर्म्स केस में शामिल झारखण्ड के दो क्रांतिकारी प्रभुदयाल  हिम्मत सिंह एवं बैद्यनाथ विश्वास दुमका के रहनेवाले थे।


v 1913 ई. में गिरिडीह में खंभे पर 'आवर स्वाधीन भारत'  शीर्षक के पर्चे निर्मल चंद्र बनर्जी ने चिपकाये थे, जिसे क्रिस्टो राय ने बंगाल से लाया था।


v गिरिडीह का मनोरंजन गुहा (ठाकुर दा) क्रांतिकारियों को धन मुहैया कराता था ।


v हजारीबाग स्थित संत कोलम्बस महाविद्यालय के क्रांतिकारी छात्र रामविनोद सिंह को 'हजारीबाग का जतिन बाघा' कहा जाता था।


v टाटा कम्पनी में कार्यरत अमरनाथ मुखर्जी रक्तरंजित क्रांति से भारत को मुक्त कराना चाहता था। 1908 ई. में उसने न्यूर्याक से स्पष्ट घोषणा की कि रक्तरंजित क्रांति से ही भारत को मुक्त किया जा सकता है।


v ढाका में मेमन सिंह तथा कलकत्ता के क्रांतिकारी जमशेदपुर में छुपकर गुप्त प्रचार करते थे।


v वीरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य देवघर का एक प्रमुख क्रांतिकारी था ।


v वीरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य के मकान पर अक्टूबर 1927 ई. में छापा मारा गया। जहां से पिस्टल एवं कारतूस के साथ-साथ क्रांतिकारी साहित्य बरामद किए गए। इस केस को देवघर षड्यंत्र केस नाम दिया गया।


v देवघर षड्यंत्र केस में कुल 20 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।


v हेमेन्द्रनाथ घोष जो क्रांतिकारियों को धन मुहैया कराते थे, वे दुमका  जिलों के रहनेवाले थे।


v चाईबासा से प्रकाशित क्रांतिकारी पत्रिका 'तरूण शक्ति' के सम्पादक आनंद कमल चक्रवर्ती थे ।

 

गांधी-युग

 

v मौलाना अबुल कलाम आजाद को नजरबंद रखने के लिए 1916 ई. कलकत्ता से राँची में लाया गया।


v प्रारंभ में मौलाना अबुल कलाम आजाद को राँची के मोहराबादी में रखा गया।


v मौलाना अबुल कलाम आजाद ने राँची में अंजुमन इस्लामिया एवं मदरसा इस्लामिया संस्था स्थापित की।


v मौलाना अबुल कलाम आजाद को नजरबंदी से 27 दिसम्बर, 1919  ई. को मुक्त किया गया।


v महात्मा गांधी के चरण झारखण्ड की धरती पर पहली बार 4 जून, 1917 को पड़े ।


v गांधी जी श्याम कृष्ण सहाय के निमंत्रण पर राँची आये थे। 


v 4 जून 1917 ई. को राँची आगमन के पश्चात गांधी जी श्याम कृष्ण  सहाय के यहाँ ठहरे थे।


v गांधी जी के झारखण्ड आगमन के समय उनके साथ कस्तूरबा गांधी, देवदास गांधी, एवं रामदास थे।


v चंपारण आंदोलन के दौरान (1917 ई. में) गांधीजी 21 दिनों तक झारखण्ड में रहे।


v चंपारण आंदोलन की रूपरेखा झारखण्ड के राँची में तैयार की गई थी।


v महात्मा गांधी 4 अक्टुबर 1917 को राँची चम्पारण गए।


v 1917 ई. में महात्मा गांधी मोतिहारी से चलकर राँची लें गवर्नर एडवर्ट गेट से मिलने आएं थे।


v रविन्द्र नाथ टैगोर का झारखण्ड क्षेत्र से गहरा संबंध था।


v गीतांजली के कुछ अध्यायों की रचना रविन्द्र नाथ टैगोर जी ने राँची में की थी।


v टैगोर की पुस्तक गीताजंली, वीरभूम, मानभूम तथा झारखण्ड की प्राकृतिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को चित्रित करती है।


v राँची में रौलेट एक्ट और जलियावाला बाग हत्याकांड के आंदोलन का नेतृत्व गुलाब तिवारी ने किया था।


v पलामू जिला कांग्रेस कमिटी की स्थापना 1919 ई. में हुई।


v राँची और हजारीबाग जिला कांग्रेस कमिटी की स्थापना 1920 ई. मे हुई।

 

असहयोग आंदोलन

 

v झारखण्ड में राष्ट्रीय आंदोलनं का व्यापक विस्तार असहयोग आंदोलन के समय हुआ।


v झारखण्ड में असहयोग आंदोलन का प्रारंभ 1920 ई. में हुआ।


v असहयोग आंदोलन के समय (1920-21 ई. में) गांधी जी स्वयं झारखण्ड आये, वे राँची में भीमराज वंशीधर मोदी धर्मशाला में ठहरे थे।


v गांधी जी का टाना भगतों से संपर्क असहयोग आंदोलन के दौरान  हुआ ।


v बिहार स्टूडेंट कॉन्फ्रेन्स का 15वाँ अधिवेशन 10 अक्टूबर 1920, को सी. एफ. एण्डूज की अध्यक्षता में डालटनगंज में हुआ था।


v बिहार स्टूडेंट कॉन्फ्रेस का 16वां अधिवेशन 6 अक्टूबर, 1921, को  श्रीमती सरला देवी की अध्यक्षता में हजारीबाग में हुआ था।


v लोहरदगा में असहयोग सभा 20 नवम्बर, 1920 के सम्पन्न हुई।


v हजारीबाग के राम नारायण सिंह तथा पलामू के शेख साहब ने असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी वकालत छोड़ी थी।


v असहयोग आंदोलन के दौरान टाना भगतों ने ब्रिटिश सरकार को भूमि कर देना बंद कर दिया।


v 1922 ई. में साहेबगंज को अशांत क्षेत्र घोषित किया गया।


v गिरिडीह में असहयोग आंदोलन के सबसे प्रमुख नेता बाबू बजरंग सहाय थे ।


v झारखण्ड में असहयोग आंदोलन के दौरान राँची, चतरा, गिरिडीह,  झरिया, चक्रधरपुर तथा लोहरदगा में राष्ट्रीय विद्यालय खोले गये।


v डालटनगंज में स्थापित राष्ट्रीय विद्यालय का प्रधानाध्यापक बिन्देश्वरी पाठक को बनाया गया।


v झारखण्ड में असहयोग आंदोलन का दीप जलाने में गुलाब तिवारी, भोलानाथ वर्मन, पद्मराज जैन, मौलवी उस्मान, अबुल रज्जाक और टाना भगतों का महत्वपूर्ण योगदान रहा।


v असहयोग आंदोलन में झारखण्ड की पहाड़िया जनजाति के लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस आंदोलन में भाग लेनेवाला पहाड़िया। नेता जबरा पहाड़िया थे।

 

स्वराज पार्टी

 

v झारखण्ड के कृष्ण वल्लभ सहाय को बिहार प्रांतीय स्वराज पार्टी में सचिव का पद प्रदान किया गया।


v छोटानागपुर प्रमंडल में कृष्ण वल्लभ सहाय एवं देवकी प्रसाद सिन्हा के नेतृत्व में स्वराज पार्टी की प्रचार समितियाँ गठित हुई।


v स्वराज पार्टी में संथाल परगना क्षेत्र का कार्यभार विनोदानंद झा को सौंपा गया।


v 1923 ई. में हुई विधान परिषदों के चुनाव में कृष्ण वल्लभ सहाय हजारीबाग क्षेत्र से स्वराज पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में चुने गये।


v 1923 ई. के चुनाव में दक्षिण संथाल परगना निर्वाचन क्षेत्र से स्वराज पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में रामेश्वर लाल चुने गये।

 

खादी आंदोलन तथा गांधीजी

 

v झारखण्ड में असहयोग आंदोलन के समय में ही चरखा आंदोलन चलाया जा रहा था। चाईबासा, जमशेदपुर, दुमका, जामताड़ा, देवघर, पाकुड़ आदि शहरों में खादी डिपो खोला गया था। इस काम में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका सरला देवी की रही।


v झारखण्ड के नीलकांत चटर्जी (विधायक) ने 19 फरवरी, 1924 ई. को बिहार के विधान परिषद् में खादी से संबंधित एक प्रस्ताव रखा था।


v सिंहभूम के आदिवासियों ने विष्णु माहुरी के नेतृत्व में हाट-कर न  देने का आंदोलन 1924 ई. में चलाया।

 

v महात्मा गांधी दूसरी बार झारखण्ड 1925 ई. में आये।


v महात्मा गांधी राष्ट्रीय आंदोलन के क्रम में प्रथम बार हजारीबाग में 1925 ई. में आये ।


v 1925 ई. में हजारीबाग में महात्मा गांधी ने संत कोलम्बस कॉलेज  के छात्रों को संबोधित किया।


v हजारीबाग में महात्मा गांधी को 1300 रूपये की थैली भेंट की गई।


v अगस्त 1925 ई. में सी.एफ. एण्डूज के आग्रह पर गांधी जी जमशेदपुर  पहुँचे ।


v 8 अगस्त, 1925 को जमशेदपुर के इंडियन एसोसिएशन ने गांधीजी के सम्मान में प्रीतिभोज दिया। जमशेदपुर की सभा में गांधीजी को  देशबंधु-स्मृति कोष के लिए 5000 रूपये दिए गए।


v गांधी जी का देवघर में पहली बार आगमन 1925 ई. में हुआ।


v 1925 ई. के अपने देवघर दौरे के दौरान गांधीजी ने मधुपूर में एक  नगर भवन का उद्घाटन किया ।


v हजारीबाग में 14 से 16 अगस्त, 1926 ई. में दो दिवसीय प्रदर्शनी  लगाई गई। इस समारोह का उद्घाटन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने किया।


v टेम्पल नामक अंग्रेज इंजीनियर ने जमशेदपुर के खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया ।


v अखिल भारतीय खादी बोर्ड के अध्यक्ष जमनालाल बजाज द्वारा देवघर खादी मेला का शुभारंभ किया गया।

 

साइमन कमीशन

 

v राँची में एस.के. सहाय के नेतृत्व में एक विशाल सभा का आयोजन किया गया और साइमन कमीशन वापस जाओ नारे के साथ बहिष्कार करने का प्रस्ताव पास किया गया।


v दिसम्बर, 1929 ई. में डॉ. पी. सी. मित्र तथा देवकी नंदन लाल के नेतृत्व में हजारों झारखण्ड वासियों ने साइमन का काले झंडों से स्वागत किया ।


v पलामू के पाटन निवासी कोहड़ा पाण्डेय के नेतृत्व में साइमन कमीशन के विरुद्ध राँची में बहुत बड़ा प्रदर्शन हुआ। झारखण्ड में। साइमन कमीशन के विरोध का मुख्य केंद्र राँची था।

 

सविनय अवज्ञा आंदोलन

 

v कांग्रेस कार्यसमिति की 2 जनवरी, 1930 की बैठक में प्रतिवर्ष 26 जनवरी को स्वाधीनता दिवस मनाने की घोषणा की गई। रांची में। 26 जनवरी, 1930 को भव्य कार्यक्रम हुआ। इसमें डॉ. पूर्ण चन्द्र । मित्र ने राष्ट्रीय तिरंगा फहराया एवं राष्ट्रीय गीत गाए।


v 26 जनवरी, 1930 को झारखण्ड में स्वाधीनता दिवस उत्साहपूर्ण ढंग | से मनाया गया। रांची में इसका सफलतापूर्वक आयोजन तरूण संघ द्वारा करवाया गया ।


v 6 अप्रैल, 1930 ई. में महात्मा गांधी ने जब नमक आंदोलन का श्रीगणेश किया तो इस आंदोलन का झारखण्ड के लोगों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। झारखण्ड में नमक सत्याग्रह का श्रीगणेश 13 अप्रैल, 1930 को हुआ ।


v हजारीबाग में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व कृष्ण बल्लभ सहाय एवं सरस्वती देवी ने किया ।


v हजारीबाग के खजांची तालाब के निकट कृष्ण बल्लभ सहाय ने  नमक बनाकर नमक कानून को चुनौती दी।


v पलामू में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व सोनार सिंह खरवार एवं चंद्रिका प्रसाद वर्मा ने किया।


v शत्रुध्न प्रसाद वकील ने कलकत्ता के बने नमक को कचहरी परिसर  में बांटकर नमक कानून का उल्लंघन किया।


v जमशेदपुर में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व ननी गोपाल मुखर्जी ने किया।


v संथाल परगना में शैलबाला राय के नेतृत्व में वहाँ की महिलाओं ने नमक कानून को चुनौती दी।


v झारखण्ड के मोहन महतो, सहदेव महतो, गणेश महतो ने नमक सत्याग्रह में सक्रिय सहयोग दिया था।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन में हजारीबाग के संथालों का बड़ा योगदान रहा। संथालों का नेतृत्व गोमिया थाना के बोरोगेरा ग्राम के बंगम माणे द्वारा किया गया।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन की अगुवाई संथाल परगना में विनोदा नंद झा, प्रेमनाथ डे, द्वारिका नाथ मिश्र व मोतीलाल केजरीवाल द्वारा किया गया।


v झारखण्ड क्षेत्र से निर्वाचित नीलकांत चटर्जी, जीमूत वाहन सेन एवं कृष्ण बल्लभ सहाय ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान बिहार के विधान परिषद् से त्याग-पत्र देकर आम जनता की व्यापक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान देवघर में खादी बोर्ड बना।


v झारखण्ड की सरस्वती देवी, मीरा देवी एवं साधना देवी ने सम्पूर्ण बिहार की महिलाओं को संगठित करने का बीड़ा उठाया।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान डालटनगंज में कांग्रेस का दफ्तर बंद करवाने तथा मुठिया के रूप में एकत्रित अनाज को जब्त करने में ठाकुर भोलानाथ ने सरकार का साथ दिया। इस सेवा के बदले सरकार से उन्हें राय बहादुर की पदवी मिली।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान चक्रधरपुर के कांग्रेसियों ने जंगल काटकर सरकार के प्रति अपना विरोध प्रकट किया। विरोध प्रकट करने के इस तरीके को 'जंगल सत्याग्रह' का नाम दिया गया।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्रम में झारखण्ड में 'चौकीदारी कर' बंद करने के लिए आंदोलन हुआ। इस आंदोलन के प्रमुख नेता सरस्वती देवी, मथुरा सिंह, जे. एल. साव, चमन लाल, सीताराम दुबे तथा महादेव पाण्डेय थे।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को हजारीबाग केंद्रीय कारागार में रखा गया था, जहाँ उन्होंने तकली से सूत काटकर  चरखे से 15 गज से अधिक लंबा कपड़ा तैयार कर डाला।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान हजारीबाग जेल में बंद रामवृक्ष बेनीपुरी ने 'बंदी कैदी' नामक हस्तलिखित पत्रिका निकालना शुरू  किया था।


v सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्रम में हजारीबाग जेल में बंद महामाया प्रसाद सिन्हा और भवानी दयाल सन्यासी के द्वारा 'कारागार' नामक हस्तलिखित मासिक पत्रिक प्रकाशित किया जाता था ।


v 'सम्पूर्ण किसान आंदोलन' यदुवंश सहाय के नेतृत्व में चल रहा था।


v स्वामी सहजानंद सरस्वती का आगमन संथाल परगना में 1938 ई. में हुआ। जहाँ पर उन्होंने किसानों की दशा सुधारने का आंदोलन चलाया ।


v व्यक्तिगत सत्याग्रह के अवसर पर महात्मा गांधी 1940 ई. में अंतिम बार राँची आये।


v महात्मा गांधी ने निवारणपुर जाकर मरणासन्न निवारण बाबू का हालचाल जाना ।


v निवारणपुर में गांधीजी ने एक संक्षिप्त सभा को संबोधित किया जिसमें गांधी-सेवा संघ के क्षितिज चंद्र बसु उपस्थित थे।

 

श्रमिक संघ आंदोलन

 

v जमशेदपुर स्थित टाटा स्टील कंपनी के मजदूरों ने एस. एन. हलदर एवं व्योमकेश चक्रवर्ती के नेतृत्व में जमशेदपुर वर्क्स एसोसिएशन की स्थापना 1920 ई. में की।


v मजदूर आंदोलनों के दौरान झारखण्ड भी अछूता नहीं रह सका। 1928 के जमशेदपुर मजदूर हड़ताल को समाप्त कराने में सुभाष चंद्र बोस की महत्पूर्ण भूमिका रही ।


v अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन काँग्रेस का अधिवेशन झरिया में 1929  ई. में हुआ।


v 1929 ई. में झरिया में हुए अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू अध्यक्ष चुने गये।


v 1938 ई. में प्रोफेसर अब्दुल बारी सिद्दिकी ने अपना अलग श्रम संघ स्थापित किया जिसका नाम 'टाटा वर्क्स यूनियन' रखा गया।

 

कांग्रेस का रामगढ़ अधिवेशन

 

v काँग्रेस का 53वाँ वार्षिक अधिवेशन झारखण्ड में हुआ।


v झारखण्ड की धरती पर काँग्रेस का 53वाँ वार्षिक अधिवेशन रामगढ़  में हुआ।


v रामगढ़ में काँग्रेस का 53वाँ वार्षिक अधिवेशन 1940 में मौलाना अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।


v रामगढ़ में हुए काँग्रेस के 53वें वार्षिक अधिवेशन का प्रारंभ 19-20 मार्च, 1940 में हुआ।


v रामगढ़ में हुए काँग्रेस के 53वें अधिवेशन में सभा स्थल का नाम मजहर नगर रखा गया था।


v रामगढ़ काँग्रेस के मुख्य प्रवेश द्वार का नामकरण बिरसा मुंडा के नाम पर किया गया था।


v काँग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन के दौरान सुभाष चन्द्र बोस की अध्यक्षता में अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन आयोजित किया गया।


v 'फारवर्ड ब्लॉक' का जन्म रामगढ़ में हुआ।


v वामपंथी विचार धारा के एम.एन. राय ने 1940 में 'रेडिकल डेमोक्रेटिक' पार्टी की स्थापना रामगढ़ में की।


v काँग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन के प्रथम दिन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कांग्रेस का एकमात्र प्रस्ताव पारित किया, यह प्रस्ताव सत्याग्रह पर | था।


v काँग्रेस के रामगढ़ अधिवेशन के स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ.  राजेन्द्र प्रसाद थे।


v कांग्रेस का 53वां अधिवेशन : एक नजर में

स्थान

रामगढ़

 

प्रारंभ

19-20 मार्च, 1940

अध्यक्षता

मौलाना अबुल कलाम आजाद

अध्यक्ष, स्वागत समिति

डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

उपाध्यक्ष, स्वागत समिति

श्री कृष्ण सिंह,

डॉ. सैयद महमूद

महासचिव, स्वागत समिति

श्री अनुग्रह नारायण सिंह

प्रचार पदाधिकारी, स्वागत समिति

श्री ज्ञानचन्द्र सोधी

पदाधिकारी स्वागत समिति

श्री अम्बिका कान्त सिंह

प्रमुख स्वयं सेविकाएं

 

श्रीमती सरला देवी, कुमारी प्रेमा कण्टक, कुमारी इन्द्रमति जुनाज, कुमारी तारा पटवर्धन, श्रीमती भ्योजो भटवरकर।

 

 

 

 

भारत छोड़ो आंदोलन से स्वतंत्रता तक

 

v भारत छोड़ो आंदोलन का व्यापक प्रभाव यहां की जनता पर पड़ा। यहां के लोगों ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


v हजारीबाग के दो प्रमुख नेताओं रामनारायण सिंह एवं सुखलाल सिंह को 9 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर हजारीबाग जेल भेजा गया।


v हजारीबाग में भारत छोड़ो आंदोलन का श्रीगणेश 11 अगस्त, 1942 को हुआ।


v 11 अगस्त, 1942 को हजारीबाग में सरस्वती देवी के नेतृत्व में जुलूस निकाला गया।


v रामनारायण सिंह, सुखलाल सिंह, सरस्वती देवी एवं कृष्ण बल्लभ सहाय ने भारत छोड़ो आंदोलन में हजारीबाग जिले में नेतृत्व प्रदान किया।


v पलामू में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत ।। अगस्त, 1942 को नगर में जुलूस निकालने के साथ हुई। जपला फैक्ट्री के मजदूरों ने मिथिलेश कुमार सिन्हा की प्रेरणा से हड़ताल रखी।


v पलामू की कुमारी राजेश्वरी सरोज दास ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।


v 10 अगस्त, 1942 को डालटनगंज काँग्रेसी कार्यालय पर ब्रिटिश सरकार ने कब्जा जमा लिया।


v यदुवंश सहाय, भागीरथी सिंह खरवार, वाचस्पति त्रिपाठी, मिथिलेश कुमार सिन्हा, राजकिशोर सिंह, भुवनेश्वर चौबे, गौरी शंकर ओझा, राजेश्वरी सरोज दास, रामेश्वर तिवारी, गणेश प्रसाद वर्मा, अमिय कुमार घोष तथा नंदलाल प्रसाद ने भारत छोड़ो आंदोलन में पलामू जिले में अपना सक्रिय योगदान दिया।


v भारत छोड़ो आंदोलन में नदिया हाई स्कूल के छात्रों द्वारा स्कूल भवन पर राष्ट्रीय झंडा फहराया गया। नदिया हाई स्कूल लोहरदगा में अवस्थित है।

 

v भारत छोड़ो आंदोलन में राँची जिले के टाना भगतों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।


v भारत छोड़ो आंदोलन में 18 अगस्त, 1942 को टाना भगतों के एक दल ने विशुनपुर (गुमला) थाने को जला दिया।


v नागेश्वर प्रसाद साव, पंडित रामरक्षा ब्रह्मचारी, पूरन चंद्र मित्रा, डॉ. जदु गोपाल मुखर्जी, नारायण चंद्र लाहरी, नंद किशोर भगत, नारायण जी, देवकी नंदन प्रसाद, चमरा भगत, प्रतुल चंद्र मित्रा, विमल दास गुप्त तथा केशव दास गुप्त ने भारत छोड़ो आंदोलन में रांची जिले में सक्रिय भागीदारी निभाई।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान में गुमला थाने पर झंडा फहराने के क्रम में गंगा महाराज एवं गणपत खंडेलवाल को गिरफ्तार किया गया था।


v गंगा महाराज, गोविन्द भगत, देवेन्द्र कुमार, गण पत, खंडेलवाल, लड्डू महाराज तथा मथुरा प्रसाद ने भारत छोड़ो आंदोलन में गुमला के लोगों को नेतृत्व प्रदान किया।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जमशेदपुर के मिल मजदूरों, दुकानदारों तथा सामान्य नागरिकों ने 10 अगस्त, 1942 को पूर्ण हड़‌ताल का आयोजन किया ।


v रामानंद तिवारी ने मार्च 1942 में पूर्ण हड़ताल का आयोजन किया।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान रामानंद तिवारी के नेतृत्व में जमशेदपुर के पुलिस दल ने विद्रोह किया।


v टी.पी. सिन्हा, एम. जैन, त्रेता सिंह, एन.सी. मुखर्जी, बी. के. मेनन, मुन्नी घोष, जी.जी. पेगी, वी.जी. गोपाल टी. एम. शाह तथा एम. चक्रवर्ती ने भारत छोड़ो आंदोलन में सिंहभूम के लोगों को नेतृत्व प्रदान किया।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 11 अगस्त, 1942 को देवघर का जुलूस पंडित विनोदानंद झा के नेतृत्व में निकला।


v भिखना पहाड़ी के विनोदानंद झा को 11 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर भागलपुर सेंट्रल जेल भेजा गया।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 26 अगस्त, 1942 को देवघर में चली गोली से शहीद होने वाले व्यक्ति अशर्फी लाल थे।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान संथाल परगना में अंग्रेजी हुकूमत के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रफ्फुल चंद्र पटनायक थे।


v प्रफ्फुल चंद्र पटनायक, जो पहाड़िया लोगों के बीच आंदोलन का निर्देशन कर रहे थे, के आंदोलन का मुख्यालय डांगपारा था।


v 19 अगस्त, 1942 को दुमका में निकले जुलूस का नेतृत्व जामवंती देवी एवं प्रेमा देवी ने किया था।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान संथाल परगना की जामवंती देवी, प्रेमा देवी, उषा रानी मुखर्जी, ने आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।


v 28 अगस्त, 1942 को ब्रिटिश पुलिस द्वारा गोली से उड़ा दी गयी बिरजी संथाल परगना के नेता हरिहर मिर्धा की पत्नी थी।


v भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हरिराम गुटगुटिया देवघर से 'साइक्लोस्टाइल बुलेटिन' नामक पत्रिका निकालते थे, जो राष्ट्रीय संदेश से ओत-प्रोत थी।


v विनोदानंद झा, गौरी शंकर डालमिया, रामेश्वर लाल सर्राफ, बालेश्वर प्रसाद, मधुसूदन डे, सहदेव राय, गोपेश्वर मंडल, निलहा पत्रलेख, महेश झा, जगदम्बा सिंह, हरगौरी राय तथा अशर्फीलाल कसेरा ने भारत छोड़ो आंदोलन में देवघर जिले के लोगों को नेतृत्व प्रदान किया।


v जामताड़ा जिले में सत्यकाली बाबू के नेतृत्व में व्यापक आंदोलन चलाया गया।


v जामताड़ा के नेता नरसिंह राय ने 'खून तथा आँसू' एवं अन्य इश्तिहारों के माध्यम से आंदोलन को जगाए रखा ।


v भारत छोड़ो आंदोलन के समय दुमका कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष मोतीलाल केजरीवाल थे।


v दुमका के सुप्रसिद्ध डॉ. ननीलाक्ष मंडल ने भारत छोड़ो आंदोलन में घायल सेनानियों की खूब मदद की।


v 1942 ई. के आंदोलन में गोड्डा जिले के स्वतंत्रता प्रेमियों के जगदीश नारायण ने नेतृत्व प्रदान किया।


v जगदीश नारायण, बुद्धिनाथ झा, सागर मोहन पाठक, पंचानन सिंह जगदीश नारायण मंडल, गणेश प्रसाद साहू, प्रेमलाल मिस्त्री, सिंहासन तिवारी, सहदेव दास, मोहन मुर्मू, छोटका मुर्मू, बलिया मुर्मू, भागवर झा आजाद तथा नारायण झा ने भारत छोड़ो आंदोलन में गोड्‌डा वं लोगों को नेतृत्व प्रदान किया।


v 1942 ई. में दुमका के कृष्णा प्रसाद के निर्देशन में बना पहाड़िया जत्था पाँच भागों में विभक्त था।


v विशुन मोदी, दुखन मोदी, काली मोदी, बढ़न धोबी, बासन सोनार छठ्ठू राम तथा होरिल राम ने 1942 ई. के भारत छोड़ो आंदोलन में कोडरमा के लोगों को नेतृत्व प्रदान किया ।


v पुनीत राम, नरसिंह मारवाड़ी, जगन्नाथ सहाय, राजन सिंह, अनंत लाल, मोतीराम, लेखो राम, छठ्ठू ठठेरा, अजीत कुमार तथा नारायण मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन में गिरिडीह जिले के लोगों का नेतृत्व किया ।


v भारत छोड़ो आंदोलन में चतरा के लोगों को राम अनुग्रह प्रसाद, नरसिंह भगत, भागू गंझू एवं उपेन्द्र प्रसाद ने नेतृत्व प्रदान किया ।


v गढ़वा में भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख नेता गोपाल प्रसाद, गौरी शंकर, विश्वनाथ प्रसाद व रामकिशोर तेली तथा साधो सिंह थे।


v 9 नवम्बर, 1942 की रात जयप्रकाश नारायण अपने पांच साथियों रामनंद मिश्र, योगेन्द्र शुक्ल, सूरज नारायण सिंह, गुलाबी सोनार तथा शालीग्राम सिंह के साथ हजारीबाग सेंट्रल जेल से फरार हुए थे।


v 1942 में सिंहभूम के आदिवासियों ने हाट कर न देने का आंदोलन चलाया ।


v चूना राम महतो एवं गोविंदा महतो ने भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाई ।


v भारत छोड़ो आंदोलन की सबसे अंतिम घटना झारखण्ड में 22 अगस्त, 1943 को वाचस्पति त्रिपाठी की गिरफ्तारी थी ।


v स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी झारखण्ड क्षेत्र में चार बार आए ।

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